वोट प्रतिशत

*उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में वोट प्रतिशत 54.98 % जिसकी कुछ कड़वी सच्चाई!* 

 ख़बर *परवेज़ अख़्तर* की✍️से

राष्ट्रहित में मतदान के लिए कई सामाजिक संगठनो ने वोट डालने की अपील की जिसमें मशहूर संगठन अमन शान्ति समिति ने अध्यक्ष इमरान कुरैशी की अगुवाई में और कई मीडिया संगठनो ने जिसमें प्रिन्ट मीडिया वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन ने अध्यक्ष अज़ीज़ सिद्दीकी की अगुवाई में, कई बार लोगों को मतदान के लिए जागरूक करने हेतु रैलियां निकाली पंपलेट बांटे और एफ.बी पर और  व/अ ग्रुप्स पर लगातार लोगों से अपील करते रहे, इसके अलावा तमाम देश वासियों ने कई तरह के माध्यम से एक दूसरे से मतदान करने के लिए कहा! उसके बावजूद उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 54.98 % की वोटिंग ने एहसास करा दिया है कि अभी भी मशीनरी सिस्टम के साथ साथ लोगों में भी जागरूकता की बहुत कमी है! 
मशीनरी सिस्टम में बहुत बड़ी कमी ये है कि आधारकार्ड होने के बावजूद वोटिंग सिस्टम को अभी भी निर्वाचन कार्ड से ही मैच करा कर डालने दिया जाता है, अब के वक्त में आधार कार्ड तो हर शक्स लेकर घूमता है, पर निर्वाचन कार्ड ज्यादातर लोग कहीं रख कर भूले हुए हैं या वोट डालते वक्त ले नहीं गए, जिसकी वजह से उनको लौटा दिया गया। सरकारी कर्मचारी बी.एल.ओ की जिम्मेदारी है अपने कार्यक्षेत्र के नागरिकों की लिस्ट कंपलीट कर लें, पर वो भी लापरवाही करते नज़र आते हैं। इसके बाद जबरदस्त लापरवाही दिखती है देश के उन लापरवाह लोगों में जिनको हर चीज़ बगैर कोई मेहनत के सजे हुए चाहिए रहती है। चुनाव से पहले पहल कई बार वोटर लिस्ट को अपडेट करने के लिए क्षेत्र में कैंप लगाए जाते हैं कई माध्यमों से लगातार लोगों को सूचित किया जाता है कि वो अपने नामों को चेक कर लें, नाम मिसिंग हो या फिर कोई कमी हो तो दुरस्त करवा लें।
पर मजाल है कि आराम परस्त लोग लिस्ट चेक करने की जहमत कर लें।
अपडेट ना कराने की वजह से काफ़ी लोगों का नाम लिस्ट से नदारद हो जाता है।
इसके बाद बहुत बड़ी लॉबी उनकी भी है जो बिस्तर छोड़ कर वोट डालने नहीं जाते हैं,
और दलील ये देते हैं कि मेरे अकेले के वोट ना डालने से क्या बिगड़ जाएगा।
इसके अलावा काफी लोग कोई ना कोई बीमारी से ग्रस्त होते हैं जिसकी वजह से वोट डालने नहीं जा पाते हैं,
और कुछ ऐसे भी महान लोग होते हैं जिनके घरों में वोट की पर्ची नहीं पहुंच पाती है, और वो कहते हैं कि छोड़ो यार कोई पर्ची तो दे नहीं गया है।
फिर मैं वोट डालने क्यों जाऊं। इन्ही सब वजहों के नतीजे में लखनऊ का वोट प्रतिशत 54.98% पर ही सिमट कर रह गया!!

ज़रूरत है सबको अपनी जिम्मेदारी समझने की 
सरकार को भी, सिस्टम को भी, नागरिकों को भी, और लापरवाह वोटरों को भी।

क्योंकि "अमन शान्ति समिति" और "प्रिन्ट मीडिया वर्किंग जर्नलिस्ट एसोसिएशन" जैसी संस्था व अन्य लोग अकेले कुछ नहीं कर सकते हैं,
बिलकुल उस चने की तरह जो अकेला भाड़ नहीं फोड़ पाता है।

 *परवेज़ अख़्तर* 
पत्रकार

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